कविता

उत्सव मनाना तुम !!!!

स्वतंत्रता दिवस का
उत्सव मनाना तुम
तिरंगा भी फहराना पर
शपथ मत लेना उसके नीचे
आन बान शान की
तुम्हारे शब्दों की ये गुलामी
वो सह नहीं पायेगा
साये में उसके छल होता तो है
पर वो किसी से कह नहीं पायेगा !!!

जहाँ बेटी को जन्म देने से
माँ घबराती
मौत हो जाती है
भूख से
सौदेबाज़ी हो जाती
ख़ाकी वर्दी में
दरिंदों की बस्तियों में
कैद हो जाती है
मासूमियत सुरक्षा गृहों में
जश्न मनाने को बचा क्या
पढ़ाने को इतिहास में
रहा क्या ????

सीमा सिंघल 'सदा'

जन्म स्थान :* रीवा (मध्यप्रदेश) *शिक्षा :* एम.ए. (राजनीति शास्त्र) *लेखन : *आकाशवाणी रीवा से प्रसारण तो कभी पत्र-पत्रिकाओ में प्रकाशित होते हुए मेरी कवितायेँ आप तक पहुँचती रहीं..सन 2009 से ब्लॉग जगत में ‘सदा’ के नाम से सक्रिय । *काव्य संग्रह : अर्पिता साझा काव्य संकलन, अनुगूंज, शब्दों के अरण्य में, हमारा शहर, बालार्क . *मेरी कलम : सन्नाटा बोलता है जब शब्द जन्म लेते हैं कुछ शब्द उतरते हैं उंगलियों का सहारा लेकर कागज़ की कश्ती में नन्हें कदमों से 'सदा' के लिए ... ब्लॉग : http://sadalikhna.blogspot.in/ ई-मेल : [email protected]