जय हिन्द
जिस डग,पग पड़े संत के,
वो पावन हो जाती है ।
ये संतो की भूमि है भारत,
देव प्रकट कर जाती है ।।
पत्थर मे भी देव जहाँ है,
जहाँ नारी पूजी जाती है,
जहाँ प्रभु राम को भी,
जूठे, सेबरी बेर खिलाती है।।
जिस देश मे माता नदियाँ है,
गाये भी पूँजी जाती है,
वो स्वर्ग नही तो ,और है क्या,
जहाँ बेटी देवी ,कहलाती है।।
जहाँ उचे बैठे ,बाबा भोले,
नीचे, कंयाकुमारी कहलाती है,
जहाँ मीरा दीवानी रहती,
वही राधा ,प्रभु को चिढाती है।।
जब जब पाप बढ़ा धरा पर,
जब मानवता चिललाती है,
तब तब इस पावन भूमि पर,
माँ काली रूप मे आती है।।
जब पापो का घड़ा भर जाता है,
प्रभु मानव रूप मे आते है,
ये रामायण हमे बताता है,
और गीता भी हमे बताती है।।
जय हिन्द!!
— हृदय जौनपुरी