वक्त के साथ
न आगे न पीछे, चलिए, वक्त के साथ साथ।
दोस्तों खुद को बदलिए, वक्त के साथ साथ।
कभी कभी जीत के लिए, हार भी जरुरी है,
हार का भी दर्द सहिए, वक्त के साथ साथ।
फूलों में हँसो, चाँदनी में नहाओं दिन रात,
चेहरे पे धूप भी मलिए, वक्त के साथ साथ।
औरों के लिए जियो, इन्सानियत का तकाजा है,
और खुद भी सँभलिए, वक्त के साथ साथ।
मंजिल के लिए, तय नही है एक ही रास्ता,
नए साँचे में ढलिए, वक्त के साथ साथ।
— ओमप्रकाश बिन्जवे “राजसागर”