रक्त की प्यासी मां भारती!
भारत माता रक्त माँगती ,है अपने वीर जवानों से ।
हे वीरो तलवार निकालो, अब अपने मयानो से ।।
बहुत हो चुका दुषटो का, खेल खतम करना होगा ।
भारत माँकी रक्षा करने, हमको आगे बढ़ना होगा।।
गददारो को खतम करो,जल्द से जल्द हुँकार भरो ।
माँ काली अब प्यासी है, रक्तो से सिगार करो ।।
दीन दुःखी होने से अच्छा, लड़ते लड़ते मर जाना ।
माँ बहन की इज्जत हेतु,खुद सूली पर चढ जाना ।।
असह वेदना ,कठिन मार्ग, पर माँ हमको प्यारी है।
भले रक्त की नदियाँ बहे,पर करनी अब तैयारी है ।।
सहते सहते सदिया बीती,धैर्य हमारा टूट गया ।
अपनों से अपने छूटे, भाई से भाई रूठ गया ।।
अब कितने और माँ से बेटे, हमसे छिने जायेगे ।
कितने बहनो का सिंधुर , और भी गिने जायेगे।।
बहुत हो चुका अब ना हो,अर्जुन बन आना होगा ।
एक- एक को मार-मार कर,नरक पहुँचाना होगा।।
जय हिंद ! जय भारत !
— हृदय जौनपुरी