स्वर्गीय अटल जी को श्रद्धासुमन
साँसो का बंधन तोड़ , यादों की गठरी छोड़ ,
राष्ट्रपंथ के पथिक ,तू भला किधर गया ?
एक युग ठहर गया …………
वह थे अजातशत्रु, औ सदा अटल रहे ।
राजनीति की अमा में ,कांतिमय अनल रहे ।
छोड़ एक मौन गीत,हाय रे ,मुखर गया ।
एक युग ठहर …………………….
देश या विदेश हो , हर जगह निखरते थे।
ओजभरी वाणी से सिंह सा गरजते थे ।
माँ वाणी का सपूत,प्रणेता प्रखर गया ।
एक युग ठहर ……………………….
जिनके आदर्शों में सदा प्रभु राम रहे ।
जिनके अभिन्न मित्र काका कलाम रहे।
देश को बिलखता छोड़ वह,प्रयाण कर गया।
एक युग ठहर गया…………………
पोखरण परीक्षण या कारगिल की घाटी हो।
उनके लिए चंदन थी,देश की गर माटी हो ।
देश को नवा के शीश ,भक्त एक प्रवर गया ।
एक युग ठहर गया ……………………..
© डॉ. दिवाकर दत्त त्रिपाठी