अटल जी को श्रद्धांजली
किसने खोया किसने पाया
धरा पर थी ग़म की लहर,
स्वर्ग पर थी ख़ुशी की लहर।
भारत ने खोया अनमोल रत्न,
स्वर्ग ने पाया अनमोल रत्न ।।
किसने खोया किसने पाया……
ना जाने कहाँ छिप गया भारत का लाल ?
पुकारती धरा ,नदियाँ ,वृक्ष अनेक।
तुम जैसा लाल ना पाएँगें दोबारा,
दौड़ी ग़म की लहर चारों ओर!!
किसने खोया किसने पाया……..
स्वर्ग में था चारों ओर उल्लास,
आया था जो भारत रत्न आज।
समा बाँधा कविताओं से वहाँ भी,
हार कर भी जीतना सिखाया वहाँ।।
किसने खोया किसने पाया….
मर कर भी जियूँगा मैं कह गया था धरा का लाल,
आज हर किसी के दिल के एक कोने में छिपा हूँ मैं।
कहीं गया नहीं बसता हूँ सभी के दिलों में मैं,
मरकर भी ज़िंदा हूँ मैं यहीं कहीं आस-पास हूँ मैं !!
किसने खोया किसने पाया……
मौलिक रचना
नूतन ( दिल्ली )