अबोला
पिछले कितने ही दिनों से छोटी मोटी नोक झोक चल रही थी अब बातें मन को चुभने सी लगी थी दो दिन से तो अबोला ही था पर मन में कुछ खटक भी रहा था पर जैसे ही शाम में आसमान में काले बादल घिरे तुषार आदत अनुसार चहक कर सुमी से लोंग ड्राईव पर चलने के लिये आग्रह कर उठा ।सुम्मी तो जैसे यही चाह रही थी पर नाराजगी भी थी बेमन से ही सही तुषार की पसन्द की साडी़ पहन जब बाहर आई तो तुषार की हल्की सी मुस्कान ने माहौल को और हल्का कर दिया ।अब दोनों हवा के घोड़े पर सवार मौसम का लुफ्त उठा रहे थे पर अबोलापन अभी भी थी तभी एक मोटरसाईकिल पर लगे टेपरिकार्डर पर चलते गाने ने सारे गिले शिकवे मानो दूर कर दिये हो ।हवाओं में “पिया तोसे नैना लागे रे ” गीत गूंज रहा था अब सुम्मी की अंगुलियाँ युटुयुब पर तुषार के पंसदीदा गाने को चलाकर थिरक रही थी दोनों साथ साथ गुनगुना रहे थे अबोलापन कहीं दूर सड़क के किनारे सिसक रहा था ।
अल्पना हर्ष