कविता

माँ

तु हैं तो मैं हूँ , तु दुनिया मेरी ,
तेरे कदमों मे हैं मेरा ज़हां ,
कभी ज़िन्दगी मेरी ,खुली किताब थी ,
शब्द अनकहे मेरे ,समझती थी तु ,
मेरी इच्छा को तेरी इच्छा तुने बनाया ,
मेरी माँ ………
आज भी तेरी खुशबु को ,
महसुस करती हूँ ,नहीं हैं तु पास ,
मेरे बच्चो के साथ तेरी ,यादों मैं खोती हूँ ,
कैसे कहुँ ,तेरे साथ ही वजुद हैं मेरा ,
तेरे साथ ,मेरी दुनिया थी ,
आज भी खौ जाती हूँ ,तेरे
संग बिताये लम्हो मे ,खोती हूँ ,
तेरी याद मैं ” माँ “….
तेरे साथ दुबारा ,जीना हैं मुझे
जो नहीं किया तेरे लिये …
वो सब करना हैं ,मुझे तेरे लिये ,
तुने जो खुशी दी मुझे ,वो मैं तुझे देना चाहुं ,
माँ ……

*डॉ. सारिका रावल औदिच्य

पिता का नाम ---- विनोद कुमार रावल जन्म स्थान --- उदयपुर राजस्थान शिक्षा----- 1 M. A. समाजशास्त्र 2 मास्टर डिप्लोमा कोर्स आर्किटेक्चर और इंटेरीर डिजाइन। 3 डिप्लोमा वास्तु शास्त्र 4 वाचस्पति वास्तु शास्त्र में चल रही है। 5 लेखन मेरा शोकियाँ है कभी लिखती हूँ कभी नहीं । बहुत सी पत्रिका, पेपर , किताब में कहानी कविता को जगह मिल गई है ।