कविता

मेरे राम!!

जब भी संकट पड़ा हिंद पर ,
मुख से निकला जय श्री राम ।
जब भी कोई रावन जन्मा ,
मुख से निकला जय श्री राम ।।

ऋषियों पर संकट आया ,
मुख से निकला जय श्री राम ।
हिंद भूमि फिर बोल पड़ी है ,
कण -कण से जय- श्री राम ।।

पड़ी भीर है फिर संतो पर ,
गूंज रहा है जय-जय श्री राम ।
उठो हिंद के वीर जवानों ,
बोलो मिल सब जय श्री राम ।।

तिनके से पर्वत तक अब गूजे ,
मेरे प्यारे जय श्री राम ।
उठो हिंद के वीर जवानों ,
बोलो मिल सब जय श्री राम ।।

लहरा दो अब पुरे विश्व में ,
भगवा अपना जय श्री राम ।
काँप उठे जल -क्षिति -अम्बर ,
गूजे केवल जय श्री राम ।।

विश्व गुरु बन जाए भारत ,
चाहू दिशा बस जय श्री राम ।
इतना गरजो इतना बरसो की ,
फिर से आये जय श्री राम ।।

जय -जय श्री राम —

हृदय जौनपुरी

हृदय नारायण सिंह

मैं जौनपुर जिले से गाँव सरसौड़ा का रहवासी हूँ,मेरी शिक्षा बी ,ए, तिलकधारी का का लेख जौनपुर से हुई है,विगत् 32 बरसों से मैं मध्यप्रदेश के धार जिले में एक कंपनी में कार्यरत हूँ,वर्तमान में मैं कंपनी में डायरेक्टर के तौर पर कार्यरत हूँ,हमारी कंपनी मध्य प्रदेश की नं-1 कम्पनी है,जो कि मोयरा सीरिया के नाम से प्रसिद्ध है। कविता लेखन मेरा बस शौक है,जो कि मुझे बचपन से ही है, जब मैं क्लास 3-4 मे था तभी से