साँवली सूरत
साँवली सूरत नन्दलाल |
सुंदर नैना बने बिसाल ||
अधरों पर बजती मुरली |
नभ छा जाती घटा काली ||
गले में बैजंती माला |
भक्त कहें जय गोपाला ||
मोर मुकुट अति प्यारो |
वृंदावन सबसे न्यारो ||
भवसागर से हो जो पार |
कृष्ण से करे आँखें चार ||
साँवली सूरत नन्दलाल |
सुंदर नैना बने बिसाल ||
— मुकेश कुमार ऋषि वर्मा