गीतिका/ग़ज़ल

हर एक मुश्किल बहुत आसान हो जाये

हर एक मुश्किल बहुत आसान हो जाये ,
अगर इंसान अंदर से भी बस इंसान हो जाये ।

कहीं झगड़े न हो सब आपसी सद्भाव से रह लें ,
अगर नीयत में हर इंसान के ईमान हो जाये ।

किसी मजबूर की करने हिफ़ाज़त हाथ उठ जाये ,
वो ही इंसान बस उसके लिये भगवान हो जाये ।

अगर होता नही तुमको ये लालच नेक नामी का ,
तुम्हारी खुद ब खुद अपने ही से पहचान हो जाये ।

ग़ज़ल ऐसी लिखो ऐसी लिखो ऐसी लिखो “नीलम”,
कि वो सबके लिए इक इश्क़ का दीवान होजाये ।

— डा नीलिमा मिश्रा

डॉ. नीलिमा मिश्रा

जन्म एवं निवास स्थान इलाहाबाद , केन्द्रीय विद्यालय इलाहाबाद में कार्यरत , शिक्षा इलाहाबाद विश्वविद्यालय से मध्यकालीन भारत विषय से एम० ए० , राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय से पी०एच० डी० । अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में सहभागिता विशेष रूप से १६वां विश्व संस्कृत सम्मेलन बैंकाक २०१५ । विभिन्न पत्र- पत्रिकाओं में लेख गीत गजल कविता नज़्म हाइकु प्रकाशित इसके अलावा ब्लाग लिखना ,गायन में विशेष रुचि