हर एक मुश्किल बहुत आसान हो जाये
हर एक मुश्किल बहुत आसान हो जाये ,
अगर इंसान अंदर से भी बस इंसान हो जाये ।
कहीं झगड़े न हो सब आपसी सद्भाव से रह लें ,
अगर नीयत में हर इंसान के ईमान हो जाये ।
किसी मजबूर की करने हिफ़ाज़त हाथ उठ जाये ,
वो ही इंसान बस उसके लिये भगवान हो जाये ।
अगर होता नही तुमको ये लालच नेक नामी का ,
तुम्हारी खुद ब खुद अपने ही से पहचान हो जाये ।
ग़ज़ल ऐसी लिखो ऐसी लिखो ऐसी लिखो “नीलम”,
कि वो सबके लिए इक इश्क़ का दीवान होजाये ।
— डा नीलिमा मिश्रा