दौड़ रही है जिन्दगी
दौड़ रही है जिन्दगी
रोटी की जद्दोजहद में।
कुछ निस्तेज चेहरे
बस सड़कों पर
दौड़ने का उद्देश्य लिये ।
तो कुछ चमकीले चेहरे
बन पतगें सैर करते है
खुले आसमान में
न कोई बन्धन
न चिन्ता रोटी की।
अक्सर सड़क पर दौड़ते देख
निस्तेज चेहरों को देख
पड़ जाती हूँ सोच में
क्यों दौड़ रहें है सब।
अक्सर करते
ओवरटेक हरेक से
जद्दोजहद रोटी की है
शायद
चेहरे बोलते है बिन कहे
सच कहते है सब
रोटी नाम ही सत्य है