“मुक्तक”
हिंदी सिर बिंदी सजी, सजा सितंबर माह।
अपनी भाषा को मिला, संवैधानिक छाँह।
चौदह तारिख खिल गया, दे दर्जा सम्मान-
धूम-धाम से मन रहा, प्रिय त्यौहारी चाह॥-1
बहुत बधाई आप को, देशज मीठी बोल।
सगरी भाषा बहन सम, मिल जाती दिल खोल।
लिखना-पढ़ना सहज है, अक्षर शब्द समान-
भाव-भंगिमा आपसी, हिंदी है अनमोल॥-2
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी