मनुष्य
जो दिखता है वो होता नही
जो चाहता है वो बोता नही
दिन भर सोता है
रात भर संजोता है
कहता कुछ ओर है
हंसता है वो, रोता नहीं
जो दर्द कभी खोता नहीं
आखों में कशिश
और हो पाने की जिद
बेफिक्र हो चलता है
पर कभी पथ से दूर होता नहीं..
जिसके पास है लक्ष्य
वो ख्वाब संजोता नही..
ख्वाब देखने वाले का
कोई लक्ष्य होता नही….
आखों में जिसके बोझ सोता नही
जागते होश होता नही….
सच है
वह मनुष्य है
जो दिखता है वह होता नही
जो चाहता है वह बोता नहीं
— कुशाग्र जैन