कविता

महावीर

जो दुविधाओं में पला हो
जो कांटो पर चला हो
जिस प्रिय को ईश्वर ने
अद्भूत अनुपम दृढ़ता लाने
जीवन के पाठ को सीखलाने
मजबूत सांचे में ढाला
जो धुन धुनी मतवाला हो
अदम्य साहस वीरतायुत,
साहसी जो हिम्मतवाला हो
दैदिप्यमान नक्षत्र वही
नैनों से करूणा है बहती
कंठ से सुर सरिता झरती
धरती जिसको बेटा कहती
अंबर बनता है जिसका ढ़ाल
उन्मुक्त करे वह विचरण
फुल खिले जहॉ पड़े चरण
रणक्षेत्र में जिसके
ओज से फैले
तेज प्रकाश
होने लगे तम का विनाश
सागर सी हो जिसकी प्यास
उसके जीवन उल्लास भरा
मानों हर क्षण बस रास करा
उसी धीर, उसी वीर
महावीर को शत-शत नमन!

कुशाग्र जैन

कुशाग्र जैन

व्याख्याता चित्रकला रा उ मा वि सलुम्बर जिला - उदयपुर(राजस्थान ) पता - बागीदौरा, जिला बांसवाड़ा(राजस्थान) मो. – 07597516346 Email – [email protected] पेशे से शिक्षक, चित्रकार और उनकी रचनाएं विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित