आह्वान-गीत
आओ निरंतर पथ चले और,
मंजिल का हम वरण करें।
पथ की बाधाओं, कांटो का,
पौरुष के बल दमन करें।।1।।
मानव जीवन की क्षमता,
योग्यता का लाभ उठाएं।
बैठे रहने से क्या होना,
मंजिल के पथ कदम बढ़ाए।।2।।
सृष्टि की रीति पर चलकर,
जीवन को हम सुमन करें।
आओ निरन्तर पथ चलें,
और मंजिल का वरण करें।।3।।
यौवन के दिन अधिक नहीं जो,
आज मिले वो कल भी होंगे।
वक्त बड़ा बल वाला साथी,
अप्रत्याशित पल भी होंगे।।4।।
भीतर की बाती में तेज और,
प्राणों में वो पवन भरें।
आओ निरंतर पथ चलें,
मंजिल का हम वरण करें।।5।।
जीवन धन्य सिर्फ उसी का,
जो परहित कुछ करना सीखा।
खुदगर्जी को छोड़, परहित,
बाधाओं से लड़ना सिखा।।6।।
मन में ले संकल्प चले हम,
और विजय स्मरण करें।
आओ निरंतर पथ चले और,
मंजिल का हम वरण करें।।7।।
— मुकेश बोहरा अमन