नवगीत – मेहनतकश, मतवाले
मेहनतकश मतवालों की यहां,
नहीं रहेगी मुट्ठी खाली।
तम का तख्त बदल देंगे हम,
पूरब में फिर होगी लाली।।1।।
चल पड़े है मेहनत के पथ,
फूल कांटे ना गिनेंगे।
मुश्किल है सौ आजमाएं,
हम राहों से ना हिलेंगे।।
संकटों से पार होंगे,
एक दिन फिर होगी दीवाली।
तम का तख्त बदल देंगे हम,
पूरब में फिर होगी लाली।।2।।
पहाड़ों के माथे पग धर कर,
सागर मंथन से विष पीकर।
आंधी तूफानों से लड़कर,
जा पहुंचेंगे मंजिल के घर।।
मेहनत के मोती उगेंगे,
मन के भीतर डाली-डाली।
तम का तख्त बदल देंगे हम,
पूर्व में फिर होगी काली।।3।।
हम लिखेंगे मेहनत को अब,
हल की नोंक, कुदाली, गेती।
पहाड़ो की बर्फीली वादी,
मरूधर के धोरों की रेती।
जय जवान, जय किसान,
अमन यही वतन के माली।
तम का तख्त बदल देंगे हम,
पूरब में फिर होगी लाली।।4।।
मेहनतकश मतवालों की यहां
नहीं रहेगी मुट्ठी खाली।।
— मुकेश बोहरा ‘अमन’