कविता

मातृभाषा हिन्दी

खिलखिलाती हंसती जाती,
गीत गति के गढ़ती जाती ।
अनेक विधाएं अदब की इसमें,
और हमेशा बढ़ती जाती ।।
देषी-विदेशी शब्दों को भी,
उर्दु जैसे अरबों को भी,
बाहर से आये हर आखर को,
अपने अन्दर लेती जाती ।
बोलने वाले लाख करोड़ों,
मुडती चाहे जैसे मोड़ों,
सागर से भी गहरी हिन्दी,
गर्व जताते हिन्दी भाषी ।
भय नही किसी और से हमको,
दुश्मी गोरे चोर से हमको ,
नव अदब को हरपल हरक्षण,
मातृभाषा गढ़ती जाती ।
हिन्दी हमको जान से प्यारी,
जोर लगा ले दुनिया सारी,
मां के हम जो लाल खड़े है,
और खुबियां आती जाती ।
हिन्दी के संग चलना होगा,
मिली मुसीबत दलना होगा,
घर के भेदी जब तक जिन्दा,
नित्य मुसीबत आती जाती ।
जीवन की हर सांस हो हिन्दी,
जीने का अहसास हो हिन्दी,
हिन्दी पढ़ना, हिन्दी लिखना,
हिन्दी बोले हर भारतवासी ।
डोर रेशमी हिन्दी भाषा,
बढ़ती अपनेपन की आषा,
‘अमन’ जोड़ती प्रेम-सूत्र में,
हिन्दी अपनी मातृभाषा

— मुकेश बोहरा अमन

मुकेश बोहरा 'अमन'

पिता का नाम - स्व. श्री पारसमल बोहरा (जैन) माता का नाम - स्व. श्रीमती शान्ति देवी धर्मपत्नि - श्रीमती शान्ति बोहरा ‘शान्त’ अनुज भ्राता - श्री राहुल बोहरा ‘अमन’ संतान - 1. कार्तिक बोहरा 2. कु. संध्या बोहरा जन्म तिथि - 20.07.1984 शैक्षणिक योग्यता - अधि-स्नातक (हिन्दी), बी.एड. व्यवसाय:- शिक्षण कार्य, राजकीय सेवा में अध्यापक, राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय, सांसियों का तला, बाड़मेर राजस्थान भारत प्रकाशित कृतियां - 1. महिला सशक्तिकरण को लेकर कालजयी कृति ‘‘हिम्मत है तो वार करो’’ 2. ओरण-गोचर संरक्षण को लेकर पुस्तक ‘‘ओरण हमारी धरोहर’’ 3. बाल साहित्य में ‘‘भगवान हमारे दादाजी’’ रूचियां:- काव्य लेखन, गद्य लेखन, स्वतंत्र पत्रकारिता, समाज-सेवा, किताबें पढ़ना आदि । स्थायी पता - अमन भवन, महावीर सर्किल, जूना केराडू मार्ग, बाड़मेर राजस्थान भारत 344001 मोबाईल नम्बर:- 8104123345, फेसबुक - कवि मुकेश अमन Email - [email protected]