कविता

विचार कभी मर नहीं सकते

आज तुम मुझे
नकार दोगे
अपनी आत्म-संतुष्टि की भूख में
गिरा दोगे
मुझे
मेरे शीर्ष से
जो मुझे प्राप्त हुआ है
मेरे अथक प्रयत्न से
और
तुम चोरी कर लोगे
मेरे सारे पुरूस्कार
जो मेरे हाथ की लकीरों ने नहीं
न ही मेरे माथे की तासीर ने दी है
बल्कि
जो मैंने हासिल किए हैं
अपनी कूबत से
अपने सामर्थ्य से
तुम्हारे अहंकार से लड़कर
और
सड़ी-गली तंत्रों से भिड़कर

पर
क्या करोगे
मेरे विचारों का
जो इन हवाओं में घुल गई हैं
पानी की तरह मिटटी में फ़ैल गई हैं
जो बिखर गई हैं
नभ में बादल बनकर
जो अंगार बनकर तप रहा है
अग्नि में
और जो अटल,अविचलित हैं
नई नस्ल की वाणी में
जो प्राण बनकर बैठ गया है
जीव-जन्तु हर प्राणी में

विश्वास करो
तुम थक जाओगे
विचारों को मारते मारते
विचारों की तह तक पहुँचते पहुँचते
विचारों की गंभीरता समझते समझते
और
विचारों की शक्ति मापते मापते

क्योंकि
तुम्हें पता ही नहीं है कि
विचार कभी मर नहीं सकते
हाँ
कुछ देर को दब सकते हैं
तुम्हारे बम,तोप और तानाशाही से
पर
ये फिर उठ खड़े होंगे
किसी दिन
जीसस की तरह
और
तुम्हें माफ़ कर देंगे
तुम्हारी बेबसी
और
लाचारी के किए
क्योंकि
तुम
कभी विचार से जुड़ नहीं पाए
अपनी कोई राय
विकसित नहीं कर पाए
तुम कर पाए
सिर्फ
चोरी
या
बनकर रहे परजीवी
सारी उम्र
जो दूसरों की विचारों पर
तब तक ही टिक सका
जब तक की
वो बाज़ार में बिक सका

सलिल सरोज

*सलिल सरोज

जन्म: 3 मार्च,1987,बेगूसराय जिले के नौलागढ़ गाँव में(बिहार)। शिक्षा: आरंभिक शिक्षा सैनिक स्कूल, तिलैया, कोडरमा,झारखंड से। जी.डी. कॉलेज,बेगूसराय, बिहार (इग्नू)से अंग्रेजी में बी.ए(2007),जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय , नई दिल्ली से रूसी भाषा में बी.ए(2011), जीजस एन्ड मेरी कॉलेज,चाणक्यपुरी(इग्नू)से समाजशास्त्र में एम.ए(2015)। प्रयास: Remember Complete Dictionary का सह-अनुवादन,Splendid World Infermatica Study का सह-सम्पादन, स्थानीय पत्रिका"कोशिश" का संपादन एवं प्रकाशन, "मित्र-मधुर"पत्रिका में कविताओं का चुनाव। सम्प्रति: सामाजिक मुद्दों पर स्वतंत्र विचार एवं ज्वलन्त विषयों पर पैनी नज़र। सोशल मीडिया पर साहित्यिक धरोहर को जीवित रखने की अनवरत कोशिश। आजीविका - कार्यकारी अधिकारी, लोकसभा सचिवालय, संसद भवन, नई दिल्ली पता- B 302 तीसरी मंजिल सिग्नेचर व्यू अपार्टमेंट मुखर्जी नगर नई दिल्ली-110009 ईमेल : [email protected]