डॉ अम्बेडकर बनाम अम्बेडकरवादी
एक नया ड्रामा डॉ अम्बेडकर के नाम पर प्रचलित हुआ है। इसका उद्देश्य केवल डॉ अम्बेडकर के नाम का प्रयोग कर अपरिपक्व लोगों को भड़काता है। इनकी मान्यताएं डॉ अम्बेडकर की मान्यताओं के सर्वथा विपरीत है। देखिये कैसे-
1. डॉ अम्बेडकर- आर्य लोग बाहर से नहीं आये थे। Aryan invasion theory पश्चिमी लेखकों की एक कल्पना मात्र है।
अम्बेडकरवादी- दलित लोग भारत के मूलनिवासी हैं। उन्हें ब्राह्मण आर्यों ने हरा कर इस देश पर कब्ज़ा कर लिया। सभी ब्राह्मण आर्य हैं, सभी दलित अनार्य हैं।
2. डॉ अम्बेडकर – इस्लाम समभाव एवं भ्रातृभाव का सन्देश देने में व्यवहारिक रूप से सक्षम नहीं है। इसलिए 1947 में पाकिस्तान बनने पर सभी दलित भारत आ जाये। इतिहास इस बात का गवाह है।
अम्बेडकरवादी – इस्लाम एकता और भाईचारे का सन्देश देता हैं। हमें इस्लाम स्वीकार करने में कोई दिक्कत नहीं हैं।
3. डॉ अम्बेडकर – ईसाई समाज धन, शिक्षा, नौकरी, चिकित्सा सुविधा आदि के बल पर दरिद्र, अशक्त, पीड़ित हिन्दुओ का धर्म परिवर्तन करता हैं। यह गलत हैं।
अम्बेडकरवादी- धन लो और ईसाई बनो। बाप बड़ा न भइया सबसे बड़ा रुपया। ईसाईयों की इस कुटिल नीति का कभी विरोध नहीं करना।
4. डॉ अम्बेडकर – राष्ट्रवाद सबसे ऊपर है और रहेगा। राष्ट्र से ऊपर कुछ नहीं।
अम्बेडकरवादी- हम भारत की बर्बादी का नारा लगाने वालों के साथ है। स्वहित पहले राष्ट्रवाद बाद में।
5. डॉ अम्बेडकर- संविधान का सम्मान करना और उसका पालन करना हमारा नैतिक कर्त्तव्य हैं।
अम्बेडकरवादी- हम संविधान विरोधी इस्लामिक फतवों का समर्थन करते हैं। हम संविधान के आधार पर फांसी चढ़ाये गए अफ़जल गुरु और याकूब मेनन की फांसी का विरोध करते हैं। जहाँ जैसे काम निकले वैसा करो।
6. डॉ अम्बेडकर – देश तोड़ने वाली विदेशी ताकतों के हाथ की कठपुतली बनना गलत है। अनेक प्रलोभन मिलने के बाद भी मुझे अस्वीकार है।
अम्बेडकरवादी- दुकानदारी पहले देश बाद में। NGO का धंधा तो चलता ही विदेशी पैसे के बल पर हैं। विदेश से पैसे लो देश को बर्बाद करो।
7. डॉ अम्बेडकर- देश की आज़ादी के लिए संघर्ष करने वाले क्रांतिकारियों और भारत के वीर सैनिकों का सम्मान हो।
अम्बेडकरवादी- भारतीय सेना पर हमला करने वाले, पाक समर्थक कश्मीर के आतंकवादियों के लिए ज़िंदाबाद। असली सिपाही वही है। भारतीय सेना ने कश्मीर पर कब्ज़ा किया हुआ हैं।
8 . डॉ अम्बेडकर – वन्दे मातरम, भारत मत की जय आदि नारा लगाने का मैं समर्थन करता हूँ।
अम्बेडकरवादी- जय अम्मी, जय हिन्द का नारा लगाएंगे मगर भारत माता की जय और वनडे मातरम कहने में दिक्कत हैं। क्यूंकि हम तो सहूलियत पर विश्वास करते है।
9. डॉ अम्बेडकर – देश की उन्नति करने वालों के साथ मिलकर काम करना गलत नहीं हैं।
अम्बेडकरवादी- हम केवल नास्तिकों, मुसलमानों और ईसाईयों का समर्थन करेंगे। क्यूंकि बाकि सभी ब्राह्मणवादी और मनुवादी हैं।
10. डॉ अम्बेडकर- जीवन में आगे बढ़ने के लिए पुरुषार्थ करो, सकारात्मक कार्य करो। सदाचारी, संयमी, शुद्ध आचरण वाला, प्रगतिशील बनो।
अम्बेडकरवादी- हम केवल विरोध करना जानते हैं। चाहे अच्छी बात हो चाहे बुरी बात हो। चिल्ला चिल्ला कर अपना हक लेंगे। मगर काम कुछ नहीं करेंगे।
11. डॉ अम्बेडकर- मांस खाना गलत है।
अम्बेडकरवादी- बीफ़ पार्टी करना हमारा मौलिक हक हैं। मांस खाने में कोई हिंसा नहीं हैं। गोमांस खाएंगे अम्बेडकरवादी कहलाएंगे। गोमांस खाने से हम मुसलमानों के मित्र बन जाते हैं।
12 डॉ अम्बेडकर- बुद्ध के अहिंसा के सन्देश पर चलो।
अम्बेडकरवादी- अहिंसा का तगमा गले में लटका कर हम सदा वैचारिक हिंसा और प्रदुषण करते हैं क्यूंकि हम अम्बेडकरवादी मत वाले हैं।
आम्बेडकर द्वारा वामपंथ का तीव्र विरोध
बाबासाहेब आम्बेडकर ने वामपंथियों से देश को होने वाले खतरे के मद्देनज़र उनके प्रति अपनी कड़ी नापसंदगी व घोर विरोध को खुल कर प्रकट किया और समाज को वामपंथ के प्रति आगाह भी किया l
अपने दल “शेड्यूल्ड कास्ट फेडरेशन” के घोषणापत्र में वे लिखते हैं, “मैं कौम्युनिस्टों के साथ कोई गठबंधन नहीं करूंगा क्योंकि कौम्युनिस्ट व्यक्तिगत-स्वतंत्रता और संसदीय-लोकतंत्र को नष्ट कर तानाशाही स्थापित करना चाहते है” l पीटीआई से साक्षात्कार में इसे दुहराते हुए उन्होंने कोम्युनिस्म में अ-विश्वास जताया l
कौम्युनिस्टों की कुत्सित मंशा पर संविधान सभा में उन्होंने कहा, “कोम्युनिस्ट, संविधान में असीमित मौलिक अधिकार केवल इसलिए चाहते हैं कि सत्ता-विहीन होने पर वे न सिर्फ आलोचना कर सकें बल्कि सरकार का तख्ता-पलट भी कर सकें” l
मसूर जिला-सम्मलेन में उन्होंने स्वयं को कौम्युनिस्टों का पक्का दुश्मन बताया; कौम्युनिस्टों को राजनैतिक-लाभ हेतु मजदूरों का शोषणकर्ता कहा l
कोम्युनिस्ट डांगे ने लोगों से खुली अपील में बाबासाहेब को वोट न देने को कहा l चुनावी भ्रष्टाचार के लिए डांगे के विरुद्ध याचिका में बाबासाहेब ने डांगे को क़ानून ताक पर रख भ्रष्टाचार और प्रोपगंडा में लीन बताया l
बौद्ध-धर्म के प्रति कौम्युनिस्टों की घृणा पर अपनी कड़ी नाराजगी में उन्होंने कोम्युनिस्तों को विश्लेषण-क्षमता से विहीन बताया था l
बाबासाहेब ने लिखा, “कोम्युनिस्म एक मोटे सूअर और एक इंसान के बीच फर्क नहीं समझता; वो नहीं समझता कि इंसान के लिए भौतिक समृद्धि के साथ आध्यात्म भी आवश्यक है” l कोम्युनिस्तों द्वारा की गई हत्याओं पर भी सवाल उठाते हुए उन्होंने पूछा कि क्या इंसानी जान की कोई कीमत नहीं होती l
आज वामपंथियों की राष्ट्र-विरोधी हरकतें बाबासाहेब की आशंकाओं को सच सिद्ध करती हैं l दलित-वंचित भाइयों को बाबासाहेब द्वारा घोषित कोम्युनिस्ट-रूपी खतरे के मद्देनज़र ये समझना होगा कि कोम्युनिस्ट केवल अपनी डूबती नैया के रक्षार्थ उनका इस्तेमाल कर रहे हैं l महान विद्वान-मानवतावादी और संविधान-निर्माता बाबासाहेब को उनकी जयन्ती पर शत शत नमन !