कविता

आगो़श में

आगो़श में
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आ सुस्ता लें
जिन्दगी के सफर से
चुरा कर
कुछ पल
अहसास जी लें
कुछ सपने तेरे
कुछ मेरे

बनके रह जाती हूँ
बुत सी
तेरी बांहों में आकर
ठहर जाये
ये सांसों का सफर
तेरी पनाह में।

आ थाम लूं
इन लम्हों को
फिर से छिपा लूं
खुद में तुझे
फिर ये वक्त
रूक जाये
और समा जाये
मेरी रूह में
तेरी रूह।

अल्पना हर्ष

अल्पना हर्ष

जन्मतिथी 24/6/1976 शिक्षा - एम फिल इतिहास ,एम .ए इतिहास ,समाजशास्त्र , बी. एड पिता श्री अशोक व्यास माता हेमलता व्यास पति डा. मनोज हर्ष प्रकाशित कृतियाँ - दीपशिखा, शब्द गंगा, अनकहे जज्बात (साझा काव्यसंंग्रह ) समाचारपत्रों मे लघुकथायें व कविताएँ प्रकाशित (लोकजंग, जनसेवा मेल, शिखर विजय, दैनिक सीमा किरण, नवप्रदेश , हमारा मैट्रौ इत्यादि में ) मोबाईल न. 9982109138 e.mail id - [email protected] बीकानेर, राजस्थान