आगो़श में
आगो़श में
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आ सुस्ता लें
जिन्दगी के सफर से
चुरा कर
कुछ पल
अहसास जी लें
कुछ सपने तेरे
कुछ मेरे
बनके रह जाती हूँ
बुत सी
तेरी बांहों में आकर
ठहर जाये
ये सांसों का सफर
तेरी पनाह में।
आ थाम लूं
इन लम्हों को
फिर से छिपा लूं
खुद में तुझे
फिर ये वक्त
रूक जाये
और समा जाये
मेरी रूह में
तेरी रूह।
अल्पना हर्ष