गीत – जिन्दगी में खूब हँसना चाहिए
एक अच्छा सा बहाना ढूँढ़कर
जिन्दगी में खूब हँसना चाहिए
चाहे दौलत का मिला अम्बार हो
चमन तेरा खुशियों से गुलजार हो
हर तरफ तेरी ही जय जयकार हो
तेरे सारे स्वप्न जब साकार हों
ईश की नेमत समझ करके इसे
जिन्दगी में खूब हँसना चाहिए
गम की बदली जब छा जाये तो
जब गुलिस्तां में खिजा आ जाये तो
तेरी किश्ती बीच में फँस जाये तो
दूर तक साहिल नजर न आये तो
ऐसा भी मंजर कभी आ जाये तो
जिन्दगी में खूब हँसना चाहिए
कोई आकर आपसे जब भी मिले
दौड़कर मिलिये लगा उसको गले
तोड़ दें मजहब की दीवारों को हम
हम यहाँ जब भी मिलें खुलकर मिलें
हर तरफ अपनी ही सूरत देखकर
जिन्दगी में खूब हँसना चाहिए
जब भी मुझको याद उसकी आएगी
उसको भी तो वो बहुत तड़पायेगी
कौन कहता है वो मुझसे दूर है
मेरी जानिब तो चली ही आएगी
दिल के आईने में उसको देखकर
जिन्दगी में खूब हँसना चाहिए
उठ तूँ अपना वक्त मत बरबाद कर
रात दिन अपने खुदा को याद कर
बख्श देगा वो तुझे सब नेमतें
उससे ही जो भी हो तूँ फरियाद कर
आशिकी को ही बनाकर हमसफर
जिन्दगी में खूब हँसना चाहिए
— शशिकान्त त्रिपाठी ‘अघोर बनारसी’