किसान
इस पीढ़ी के बाद ,किसानी ना होंगी।
जिंदा तो होंगे पर,जवानी ना होगी।।
रोटी सबकी चाह,पर खेती ना करना।
सर पर पगड़ी धार,रवानी ना होगी।।
अंग्रेजी अब स्कूल खूले है गाँवो मे ।
आना जाना छूटा ,बरगद छावो मे ।।
टाई बाँध-बाँध कर,अब बेटे जाते है ।
अब कहाँ पड़ती है,बेवाई पावो मे ।।
सबको स्वास्थ्य निरोग की चाहत है।
पर रहने की चाह नहीं है गाँवो मे ।।
गर ना चेती जनता ,या सरकार हमारी।
बिन पेड़ों के ना ,कभी मिटे बिमारी।।
शहरों जैसी चकाचौंध, गर हो गावो मे।
बेटे का जीवन बीते ,मा के पावो मे।।
हृदय जौनपुरी