कविता

कविता – राखी का अटूट रिश्ता

भाई और बहन हो जाओ तैयार,
लो आ गया राखी का त्योहार ।
ठंडी बारिश की बूँदे,
सावन की सौंधी महक।
भाई के आने की उम्मीद बहना को लगी है कसक।
राखी और मिठाई से सजा होगा पूजन थाल,
अक्षत रोली सोहेगा प्यारे भाई के भाल ।
अटूट रेशमी धागे से कलाई पे चमक आ जाएगी,
भाई को कभी न भूलने का वचन अमर कर जाएगी।
छोटे भाई से स्नेह बङे से मिलती है दुआ।
सारे जग मे सबसे सच्चा रिश्ता है यही हुआ।
मुसीबत आने पर भाई का साथ निभाना,
बहन की खातिर हर पल कुर्बान कर जाना।
वादा मुझसे कर लो भैया अबकी बार जब आओगे,
साथ मे प्यारी भाभी को घर लाओगे।
राखी की इस लाज को उम्र भर निभाना तुम,
दुनियादारी के चक्कर मे मुझे न भुलाना तुम।
मन मे सपना सजाती रहूँगी
हर साल यूँही राखी बाँधती रहूंगी ।
रब ने ऐसा अटूट बंधन बनाया है, तभी जग में ये त्योहार रक्षाबंधन कहलाता है।
रिश्ता बना रहे सदियों तक,
मिले भाई को खुशियाँ अपार।
मिश्री के मीठे रस सा, झलकता रहे भाई बहन का अनोखा प्यार।

शालू मिश्रा

शालू मिश्रा नोहर

पुत्री श्री विद्याधर मिश्रा लेखिका/अध्यापिका रा.बा.उ.प्रा.वि. गाँव- सराणा, आहोर (जिला-जालोर) मोबाइल- 9024370954 ईमेल - [email protected]