अनूप जलोटा जी पर बहस
आजकल अनूप जलोटा जी को लेकर एक नई बहस चल रही है सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर…. कई दिनों से पढ़ रही हूं बुद्धिजीवियों को लेकिन मैं अल्पबुद्धि समझ नहीं पा रही हूं। अजब अजब से विचार और टिप्पणियों ने मुझे भी कुछ लिखने पर मजबूर कर दिया। धन्य हैं यह टिप्पणीकार और धन्यवाद है इनको । बहुत से प्रश्न उपजे हैं मन में… एक एक कर के रखती हूं
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1- अनूप जलोटा जी भजन गायक है तो क्या उनका सन्यासी होना जरूरी है… ??
ऐसा विचार आया है मन में इसलिए आप सभी से पूछ रही हैं। मुझे तो यही पता था कि भजन गायन को उन्होंने अपना प्रोफेशन इसलिए बनाया है क्यूंकि फिल्मी गाने उनकी आवाज़ पर जचते नहीं हैं। क्यूंकि मैंने उनकी ग़ज़लें “ला पीला दे सकिया….. और “मैं नजर से पी रहा हूं……” भी सुनी हैं।
2- अनूप जलोटा जी ने 3 विवाह किए। पहली 2 पत्नियों से उनके संबंध विच्छेद होने के बाद उन्होंने 1994 में जिससे तीसरा विवाह किया। अपनी उन पत्नी के बीमारी के 14 वर्ष भी साथ बिताए और जो 2014 में मृत्यु के बाद उनको छोड़ गईं। उसके बाद अब अगर वह जसलीन मथारू के साथ रिलेशनशिप में हैं तो इसमें क्या अत्याचार हो रहा है…..??
मुझे एक बात पता है शायद आप में से बहुत लोग नहीं जानते हैं कि अनूप जी की पहली पत्नी ने भी विवाह विच्छेद के बाद महत्वाकांक्षा के चलते किसी और से तुरंत ही विवाह कर लिया था और आज दोनों बड़े ग़ज़ल गायक है।
उनकी तीसरी पत्नी का हार्ट ट्रांसप्लांट भी हुआ, किडनी भी फेल हुईं तब भी उन्होंने अपनी पत्नी का साथ नहीं छोड़ा… क्या गलत किया इसमें
3- लोग कह रहे है अनूप जलोटा जी ने नाम डुबो दिया… कैसे..??
16 साल की उम्र से भजन गाकर इस विधा को इतनी प्रसिद्धि दी कि समय के साथ उनको भजन सम्राट कहा जाने लगा। भजन सम्राट अनूप जलोटा का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है। उन्हें 1985 में 49 गोल्ड और प्लेटिनम डिस्क मिले थे जबकि विदेशी सिंगर एल्विस क्रिसली को उस समय तक करीब 39 या 40 डिस्क मिल पाए थे। इसी रिकॉर्ड ने जलोटा को गिनीज बुक में जगह दिलाई।
4- हमारी सर्वोच्च अदालत देश में समलैंगिक रिश्तों को मान्यता दे रही है ऐसे में अनूप जलोटा जी अपने नवीनतम रिश्ते को जग जाहिर कर के क्या गलती कर रहे हैं…?
अनूप जलोटा जी का इकलौता बेटा आज अमेरिका में रहता है। 65 साल की अवस्था में अपनी पत्नी की मृत्यु के बाद वह अकेले रहते हैं। उनकी 28 वर्षीय शिष्या को उनसे प्रेम हो गया और यह बात को छुपाने की जगह उन्होंने जग जाहिर कर दिया।
मुझे वाकई नहीं समझ आता है कि किसी के व्यक्तिगत जीवन में हम इतना रस क्यों लेते हैं। समय, परिस्थिति और संदर्भ सबके अपने अपने होते हैं। ये बात बिलकुल नहीं की मुझे संस्कारों से कोई लेना देना नहीं लेकिन ये भी कौन से संस्कार हैं कि हम किसी के व्यक्तिगत जीवन का मज़ाक उड़ाएं। यह तो मात्र एक उदाहरण है. अलग अलग विषयों पर ऐसे अजब अजब सोच- विचार देखने को मिलते रहते हैं। याद रखें आपकी स्वतन्त्रता वहीं तक मानी जाती है जहां तक किसी और की स्वतंत्रता का हनन ना हो
— शिप्रा खरे