तुम और तुम्हारे शब्द
वो तुम ही तो थे जिसके शब्द
मेरे दिल मे हलचल मचा रहे थे
यूँ तो सदियों से शब्दों की
कलाकारी हो रही थी पर
वो तुम ही तो थे जिसके शब्द
मुझ पर जादूगरी कर रहे थे!
जरूरी तो नहीं जो लिखा है
वो मेरे लिये ही हो पर
वो तुम ही तो थे जिसके शब्द
मुझे अपने से लग रहे थे!
शब्द कहीं घायल करते किसी के
तो मरहम भी होते हैं पर,
वो तुम ही तो थे जिसके शब्द
मुझे जिन्दगी दे रहे थे!
वो तुम ही थे जो लिखकर गजब
हर बार लाजवाब करते हो
हम हो रहे थे निशब्द तेरे लेखन से
हमें तुम निसार कर रहे थे!
— रजनी चतुर्वेदी