कविता

पथिक तुम रुक मत जाना

पथिक ,
तुम थककर रुक मत जाना
तुझमें अभी जान बाकी  है ।
माना कि मंजिल दूर बहुत
पर
हौसलों की उड़ान अभी बाकी है।
रब की मेहरबानियाँ सबको
यू  ही नही मिल जाती
देने पड़ते है जीवन में
इम्तहान जो अभी बाकी है ।
जिन्दगी  में ,
जंग जीतने के लिए
हौसलों की जरूरत होती है
होगा सारा जहान तेरी  मुठ्ठी में ,
उम्मीद की किरण अभी बाकी है ।
होगी दुनियाँतेरी मुठ्ठी में भी
सुनले
ए खामोश राही ,
रखना नजर लक्ष्य पर
क्योकि ,
तेरे चेहरे की थकान  अभी बाकी है
पर  पथिक ,
तुम रुक मत जाना
— डॉ. माधवी कुलश्रेष्ठ

डॉ. माधवी कुलश्रेष्ठ

पिता का नाम स्व . श्री हरेंद्र पाल कुलश्रेष्ठ पति का नाम श्री अरविन्द कुलश्रेष्ठ वर्तमान पता सी -14 न्यू आगरा फोन न . 9412426559 8218644036 ;8193909436 शिक्षा . एम॰ ए एम .एड पी .एच डी . (हिन्दी ..मनोविज्ञान इतिहास और संगीत गायन ) व्यवसाय - प्रधानाचार्य काव्य कलश सम्मान , भाव-भूषण सम्मान , और भी कई शाखाओं में उच्च पदों पर रहकर समाज सेवा कर रही हूँ लेखन कार्य भी करती हूँ । साझा संकलन भी छप चुके हैो