पथिक तुम रुक मत जाना
पथिक ,
तुम थककर रुक मत जाना
तुझमें अभी जान बाकी है ।
माना कि मंजिल दूर बहुत
पर
हौसलों की उड़ान अभी बाकी है।
रब की मेहरबानियाँ सबको
यू ही नही मिल जाती
देने पड़ते है जीवन में
इम्तहान जो अभी बाकी है ।
जिन्दगी में ,
जंग जीतने के लिए
हौसलों की जरूरत होती है
होगा सारा जहान तेरी मुठ्ठी में ,
उम्मीद की किरण अभी बाकी है ।
होगी दुनियाँतेरी मुठ्ठी में भी
सुनले
ए खामोश राही ,
रखना नजर लक्ष्य पर
क्योकि ,
तेरे चेहरे की थकान अभी बाकी है
पर पथिक ,
तुम रुक मत जाना
— डॉ. माधवी कुलश्रेष्ठ