बाल अपराध एक चिंताजनक विषय
आज पूरी दुनिया में बाल अपराधियों की संख्या में वृद्धि होना बेहद चिंताजनक है | बाल अपराधियों को जानना-पहचानना बहुत मुश्किल होता है | इन पर शक भी नहीं किया जा सकता इसलिए अधिकांश ये अपने मक़सद में कामयाब हो जाते हैं | आज भारत ही नहीं पूरी दुनिया बाल अपराधियों से पीडित है | लेकिन कहीं न कहीं बालकों का बाल अपराधी बनने का कारण हमारा सभ्य समाज ही है | मानलीजिए अगर कोई बच्चा किंही कारणों से अनाथ हो जाये तो उसके पालन-पोशण की जिम्मेदारी न सरकारें उठाती हैं और न समाज, हाँ झूठें दावे कितने भी किए जायें पर हकीकत वही है जो आप बडे-बडे शहरों के रेलवे स्टेशनों, बस स्टेंडों पर अक्सर देखते हैं | छोटे-छोटे बच्चे भीख मांगते हैं, आवारा घूमते हैं, गलत संगत करते हैं और नशा आदि करना सीख जाते हैं | धीरे-धीरे ये बहुत खतरनाक स्थिति में पहुँच जाते हैं | अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए असामाजिक / गैरकानूनी कार्य करने लगते हैं | जैसे – जैसे बढे होते जाते हैं, इनके गलत कार्य भी बडे होते जाते हैं | और आगे चलकर यही डॉन, भाई बन जाते हैं जो सरकारों और सभ्य समाज व कानून की नाक में दम कर देते हैं |
अब बात करते हैं बाल अपराधी बनने के कुछ महत्वपूर्ण कारणों पर –
कारण नं. 1 :- गरीबी से पीडित बच्चे बाहरी शैतानी तत्वों के सम्पर्क में आसानी से आ जाते हैं | छोटी-छोटी वस्तुओं जैसे – टॉफी, चॉकलेट, गेंद, जूते, खिलौने आदि के लालच में आकर गलत कार्यों को अंजाम दे देते हैं | और बाल अपराधी बनते चले जाते हैं |
कारण नं. 2 :- गरीब माँ-बाप, तलाक प्राप्त माँ, शराबी बाप आदि अपने छोटे-छोटे बच्चों से कचरा बिनबाते हैं अथवा भीख मंगवाते हैं या कोई अन्य घटिया कार्य करवाते हैं | इस तरह वो असामाजिक तत्वों के सम्पर्क में अधिक रहते हैं और यहीं से धीरे-धीरे बाल अपराधी बनते चले जाते हैं |
कारण नं. 3 :- घर के सदस्यों का आपस में एक दूसरे का लडना-झगडना देख-देख कर भी बालक अपराधी बन सकते हैं |
कारण नं. 4 :- बालक – बालिकाओं के साथ दुर्व्यवहार करने से बालक-बालिकाओं के मन में डर – अशांति घर कर लेती है और आगे चलकर यही डर – अशांति ज्वालामुखी का रूप धर लेती है |
कारण नं. 5 :- बालकों से जबरदस्ती परिश्रम करवाना और न करने पर मारने – पीटने से भी बालक बाल अपराधी बन सकते हैं|
कुलमिलाकर अगर हम बालकों को एक श्रेष्ठ नागरिक बनाना चाहते हैं तो उनके पालन-पोषन, रहन-सहन, क्रिया-कलापों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है | बालक कहीं असामाजिक तत्वों के सम्पर्क में तो नहीं, बालकों पर किसी भी तरह का अत्याचार तो नहीं हो रहा घर के भीतर या बाहर इस पर भी ध्यान देने की सख्त जरूरत है |
— मुकेश कुमार ऋषि वर्मा