लघुकथा

लघुकथा- उम्मीद

हाथ पर चढ़े प्लास्टर को देख कर पिता ने कहा, ” यह पांचवी बार है. तू इतना क्यों सहन करती है. चल मेरे साथ, अभी थाने में रिपोर्ट कर देते हैं. उस की अक्ल ठिकाने आ जाएगी.”

” नहीं पापाजी !”

” तू डरती क्यों है बेटी ? हम है ना तेरे साथ .”

” वो बात नहीं है पापाजी ?”

” फिर ?” पिता ने बेटी की असहाय भाव से निहार कर पूछा, ” यह घरेलू हिंसा कब तक चलेगी?”

” जब तक वे अपनी आदत नहीं छोड़ देते हैं .”

” बेटी ! गलत आदत छुटती हैं क्या ? तू यूं ही कोशिश कर रही है.”

” आखिर बेटी आप की हूं ना पापाजी ?” उस ने पूरे आत्मविश्वास से कहा.

पिता कुछ समझ नहीं पाए. पूछा,” यह क्या कह रही हो ?”

” यही पापाजी. आप ने मेरी कलम खाने की आदत सुधारने के लिए तब तक प्रयास किया था जब तक मेरी यह गंदी आदत…” कहते हुए बेटी मुस्करा दी और न चाहते हुए भी पिता का हाथ गर्विली मुस्कान के साथ आशीर्वाद देने के लिए उठ गए.

ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’

*ओमप्रकाश क्षत्रिय "प्रकाश"

नाम- ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ जन्म- 26 जनवरी’ 1965 पेशा- सहायक शिक्षक शौक- अध्ययन, अध्यापन एवं लेखन लेखनविधा- मुख्यतः लेख, बालकहानी एवं कविता के साथ-साथ लघुकथाएं. शिक्षा-बीए ( तीन बार), एमए (हिन्दी, अर्थशास्त्र, राजनीति, समाजशास्त्र, इतिहास) पत्रकारिता, लेखरचना, कहानीकला, कंप्युटर आदि में डिप्लोमा. समावेशित शिक्षा पाठ्यक्रम में 74 प्रतिशत अंक के साथ अपने बैच में प्रथम. रचना प्रकाशन- सरिता, मुक्ता, चंपक, नंदन, बालभारती, गृहशोभा, मेरी सहेली, गृहलक्ष्मी, जाह्नवी, नईदुनिया, राजस्थान पत्रिका, चैथासंसार, शुभतारिका सहित अनेक पत्रपत्रिकाआंे में रचनाएं प्रकाशित. विशेष लेखन- चंपक में बालकहानी व सरससलिस सहित अन्य पत्रिकाओं में सेक्स लेख. प्रकाशन- लेखकोपयोगी सूत्र एवं 100 पत्रपत्रिकाओं का द्वितीय संस्करण प्रकाशनाधीन, लघुत्तम संग्रह, दादाजी औ’ दादाजी, प्रकाशन का सुगम मार्गः फीचर सेवा आदि का लेखन. पुरस्कार- साहित्यिक मधुशाला द्वारा हाइकु, हाइगा व बालकविता में प्रथम (प्रमाणपत्र प्राप्त). मराठी में अनुदित और प्रकाशित पुस्तकें-१- कुंए को बुखार २-आसमानी आफत ३-कांव-कांव का भूत ४- कौन सा रंग अच्छा है ? संपर्क- पोस्ट आॅफिॅस के पास, रतनगढ़, जिला-नीमच (मप्र) संपर्कसूत्र- 09424079675 ई-मेल [email protected]