वीरों की गाथा
कुर्बान हुए आजाद हवा,
आजाद सांस का सपना ले,
खुद आजादी में जी न सके,
मिट गये हमे आजादी दे,
हम कर्जदार उन वीरों के,
क्या उनका मोल चुकाएंगे,
हम आने वाली संतति को,
उनकी गाथा बतलायेंगे,
हम गाथा उनकी गायेंगे।
मातृ भूमि की आजादी की,
अभिलाषा में उन वीरों ने,
अनगिनत जुल्म व दर्द सहे
दी भेंट प्राण की.,वीरो ने
तुमको आजादी मिल जाये,
मेरा तन माटी मिल जाए,
ना तरुणाई का मोह किया,
घर बार सभी कुछ छोड़ दिया
हम उनका कर्ज चुकायेंगे,
हम गाथा उनकी गायेंगे।
जन्म दिया माता ने लेकिन,
वे मातृभूमि की थे बेटे,
वे तान चले सीना रण मे
फिर संगीनो पर जा लेटे
हंसकर फाँसी पर झूले थे
गोली सीने की भूले थे
किया सर्वस्व निज न्योछावर
वो मर कर भी हो गए अमर!
वो वीरबांकुरे भारत के,
इतिहास अमर बन जायेंगे
हम गाथा उनकी गायेंगे।।
— सरला तिवारी