“कुंडलिनी”
“कुंडलिनी”
रंग मंच का दृश्य यह, मन को लेता मोह।
झंडे के भल रूप से, किसका हुआ बिछोह।।
किसका हुआ बिछोह, सुशोभित सुंदर ढंग।
कह गौतम कविराय, अतुलित है देशी रंग।।-1
झलक रहा झंडा सबल, भारत का बहुमान।
मंच सुशोभित हो रहा, हुआ तिरंगा गान।।
हुआ तिरंगा गान, बजी वीणा संग-संग।
शारदीय नवरात, महिमा माता नवरंग।।-2
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी