कविता

वो लम्हे 

जिंदगी के अनमोल पल हैं वो लम्हे
मेरी जिंदगी का गुजरा ना भूलने वाले बीता हुआ कल हैं वो लम्हे
वो प्यारे लम्हें जब याद देते हैं
आँखों में बीते पल की कसक दे जाते हैं .
वो लम्हें जब आते हैं कभी-कभी
सौंधी मिटटी की महक दिल में फिर से याद आ जाती हैं
ओस की बूँद की तरह कोमल नाजुक हैं वो लम्हे
आँखों से आसूं बनकर निर्झर बहते हैं वो लम्हे
मोम की तरह दिल में पिघलते हैं वो लम्हे
कभी मुठ्ठी में रेत की तरह फिसलते है वो लम्हे
याद बनकर साथ निभाते हैं वो लम्हे
कभी हमसफ़र बनकर साथ चलते हैं वो लम्हे
कभी यौवन में बचपन बनकर उभरते हैं वो लम्हे
कभी ठहरे पानी की तरह दिल में जज्बात बनकर रुलाते हैं वो लम्हे
कभी होंठों में गीत और मीत बनकर उभरते है वो लम्हे
कभी बीता हुआ कल और आने वाला भविष्य बनकर जीवन में कई रंग भरते हैं वो लम्हे
—  रीता बिष्ट 

रीता बिष्ट

जन्मस्थान :- देवभूमि उत्तराखंड शैक्षिक योगिता :- स्तानक साहित्य उपलब्धि :- कविता लिखना अलग अलग समाचार पत्रों में तथा पत्रिका में प्रकाशित रचनाऐं काव्य अंकुर काव्य स्पंदन नवप्रदेश आदि लिखना मेरा शौक और जूनून हैं .