हास्य व्यंग्य

मी टू से ज्यादा गहरी आवाज यू टू की

देश में तितली तूफान ने हड़कंप मचाया हुआ है।कब कौन चपेटे में आ जाए, कल्पना से परे है क्योंकि यह तो तूफान है।कब कितनी रफ्तार पकड़ ले और किस दिशा की ओर रूख कर ले,कब कमजोर हो जाए और कब शांत हो कर ठहर जाए, इसका अनुमान भी नहीं कर सकते।वैसे भी विशेषज्ञों के अनुमान ठहरते भी नहीं है क्योंकि सत्य से अनुमानों का बैर भाव हमेशा से ही बना हुआ है।अभी तो हर कोई घबराया हुआ है,बैचेनी का आलम है।
तूफान तूफान होता है,चाहे वह मौसमी तूफान हो या ठहराव लिये जीवन में आया तूफान ।जीवन में तूफान खड़े करने के कुछ कैम्पेन भी आ टपके हैं।चहुंओर घबराहट है।सबसे शक्तिशाली लोकतांत्रिक देश के सबसे शक्तिशाली राष्ट्रपति ट्रम्प खुद इस तूफान से घबराये हुए हैं।मी टू पर वे कुछ कहने की स्थिति में नहीं हैं।कैसे हो सकते हैं क्योंकि इस कैम्पेन के पहले ही लोग उन्हीं से सवाल करते आये हैं कि यू टू!
अभी तो लोकलाज की परवाह करने वाले हमारे समाज में जब मी टू अभियान स्वच्छता अभियान की तर्ज़ पर चल निकला है तो ट्रम्प की बतकही ने उन लोगों को अपने भूतकाल की वीडियो रिवाइन्ड करने पर मजबूर कर दिया जो प्रेयसी के बिछोह में – ‘दिल जलता है तो जलने दे,आँसू न बहा फरियाद न कर,सुन-सुनकर रोजाना अपने कल की याद में जिन्दगी का बैण्ड बजाने पर तूले हुए थे।ट्रम्प ने तो उस मुहावरे की ओर इशारा भर किया है जिसमें उन्होंने बताया है कि- ‘द गर्ल दैट गॉट अवे’ मुहावरे का प्रयोग ऐसे व्यक्ति के लिए होता है जिसने कभी आपसे प्रेम किया था और फिर आपको छोड़कर चला गया लेकिन आप अभी तक उस व्यक्ति से प्रेम करते हैं।
खैर, ट्रम्प की बात ट्रम्प जाने,आज तो यहाँ हर कोई अपना इतिहास भूगोल खंगालने में लगा है,यह सोचकर कि पता नहीं कब और कौन बीते हुए सुनहरे या कालिमायुक्त दिनों की याद दिला दे!उन्हें वे दिन भी याद आने लगे हैं जब वे छैलाबाबू बने फिरते थे और उन्हें लगता था कि यह गीत उन्हीं के लिए गाया जा रहा है-
‘तितली उड़ी,उड़ जो चली
फूल ने कहा,आजा मेरे पास
तितली कहे,मैं चली आकाश’
उन दिनों वे कवि भी हो गए थे, वे तितलियों और भंवरे पर गीत लिखने और सुनाने में मशगूल हो गए थे।आज उन सभी को सबसे ज्यादा चिन्तातुर देखा गया है।मी टू की सुनामी में न जाने कितने लोग चपेटे में आ गए हैं और आते जा रहे हैं।आरोपों की झड़ी लगी है तो न्यायालय अपने फैसले के लिए पहले दूध का दूध और पानी का पानी करेगा तभी मानेगा कि मी टू है और यू टू है!लेकिन दृष्य-श्रव्य मीडिया न्याय करने की शीघ्रता में है।इन बातों के लिए सब्र की कहीं गुंजाइश नहीं रहती है और इसीलिए मीडिया का न्याय त्वरित न्याय है।वह तत्काल ही फैसला कर नारी शक्ति के अभियान को अंजाम तक पहुँचा रहा है।मी टू की आवाज की दबंगई को उससे अधिक दबंगई से चारों ओर से यू टू साबित कर।ऐसे में हर कोई भयभीत है कि कहीं उस तक भी यह आवाज न आ पहुँचे यू टू जी!

*डॉ. प्रदीप उपाध्याय

जन्म दिनांक-21:07:1957 जन्म स्थान-झाबुआ,म.प्र. संप्रति-म.प्र.वित्त सेवा में अतिरिक्त संचालक तथा उपसचिव,वित्त विभाग,म.प्र.शासन में रहकर विगत वर्ष स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ग्रहण की। वर्ष 1975 से सतत रूप से विविध विधाओं में लेखन। वर्तमान में मुख्य रुप से व्यंग्य विधा तथा सामाजिक, राजनीतिक विषयों पर लेखन कार्य। देश के प्रमुख समाचार पत्र-पत्रिकाओं में सतत रूप से प्रकाशन। वर्ष 2009 में एक व्यंग्य संकलन ”मौसमी भावनाऐं” प्रकाशित तथा दूसरा प्रकाशनाधीन।वर्ष 2011-2012 में कला मन्दिर, भोपाल द्वारा गद्य लेखन के क्षेत्र में पवैया सम्मान से सम्मानित। पता- 16, अम्बिका भवन, बाबुजी की कोठी, उपाध्याय नगर, मेंढ़की रोड़, देवास,म.प्र. मो 9425030009