कविता

सुनो

सुनो , मुझे बहुत अच्छा लगता है ,
जब मैं बोलती तुम सुनते हो ।
अच्छा लगता है मुझे जब ,
गुस्सा करती हूं मैं ,
तुम प्यार से निहार सुनते हो ।
सुनो, मुझे अच्छा लगता है ,
जब मैं अपनी परेशानी को ,
तुमसे कहती हूँ ,
तुम मुस्कुरा कर ध्यान से सुनते हो ।
सुनो ,मुझे अच्छा लगता है ,
मुस्कुरा कर हंस कर तुम ,
मेरी सारी परेशानी को ,
पल में दूर कर देते हो ।
सुनो ,मुझे अच्छा लगता है ,
जब तुम मेरे साथ होते हो ,
तब जब काम बहुत होता है ।
मेरे लिए समय निकाल लेते हो ।।
सुनो ,मुझे अच्छा लगता है ,
तुम्हारा साथ ,तुमसे लड़ना ,
तुम पर मेरा अधिकार ,
जो तुमने दिया मुझे ।
तुम्हारा साथ सुकून देता है ।
असीम सुकून ……

सारिका औदिच्य

*डॉ. सारिका रावल औदिच्य

पिता का नाम ---- विनोद कुमार रावल जन्म स्थान --- उदयपुर राजस्थान शिक्षा----- 1 M. A. समाजशास्त्र 2 मास्टर डिप्लोमा कोर्स आर्किटेक्चर और इंटेरीर डिजाइन। 3 डिप्लोमा वास्तु शास्त्र 4 वाचस्पति वास्तु शास्त्र में चल रही है। 5 लेखन मेरा शोकियाँ है कभी लिखती हूँ कभी नहीं । बहुत सी पत्रिका, पेपर , किताब में कहानी कविता को जगह मिल गई है ।