मुक्तक/दोहा

“मुक्तक”

कीर्ति (वर्णिक) छंद विधान – स स स ग मापनी- 112 112 1122

मुक्तक”

मुरली बजती मधुमाषा
हरि को भजती अभिलाषा
रचती कविता अनुराधा
छलकें गगरी परिहाषा।।-1

घर में छलिया घुस आया
यशुदा ममता भरमाया
गलियाँ खुश हैं गिरधारी
बजती मुरली सुख छाया।।-2

मथुरा जनमे वनवारी
यमुना छलके हितकारी
वसुदेव न जानत माया
पग छूकर के परवारी।।-3

सुख नीद यशोमति प्यारी
नहिं जान सकी शिशु नारी
शुभ भोर भई रनिवाशा
बदला बदली गति न्यारी।।-4

ममता पहचान विसारी
मनमोहन की बलिहारी
जनमे ललना गुणशाली
जय हो जय हो गिरधारी।।-5

घर में प्रसरी किलकारी
खिलती सुख की फुलवारी
ख़ुशियाँ दहरी दरवाजा
सुखपान करे नर – नारी।।-6

महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ