करवा चौथ
मांग में भरकर सिंदूर, माँग पर माँग टिका लगाई
माथे पर सजाईं बिंदिया,. कंगनो से भरी कलाई
रचाई मेहंदी अपने हाथो में नाक में नथनी लगाई
सज धज सोलह शृंगार कर मैं आज निखर आई
भाग लिए सुहागन का रहें जन्मो जन्मो का साथ
पूर्ण हुई हर आभिलाषा रहे परिपूर्ण पुनीत साथ
व्रत रखकर चाँद से, आज मांगू आशीष विशाल
पुण्य घड़ी से हुआ ए मिलन, बना जीवन निहाल
जियूं-मरू सुगागन,. ना छुटे मेरा आत्म विश्वास
सुहागने सदा रहे सलामत, चले जब तक श्वास
मिले हर युग में साथ,. तुम्हीसे चमकते मेरे भाग
‘राज-रानी’ की जोड़ी में, रहे दिए बाती सी आग
— राज मालपाणी ’राज’