राजनीति

तोगड़िया की राजनीति से हिंदू एकता को नुकसान

डाॅ प्रवीण तोगड़िया काफी समय तक विश्व हिंदू परिषद के सक्रिय सदस्य रहे हैं तथा दिवंगत अशोक सिंघल के साथ श्रीरामजन्मभूमि आंदोलन में लगातार सक्रिय रहे। प्रवीण तोगड़िया कभी भी संगठन में पूरी तरह से अपने आपको खपा नहीं पा रहे थे। वे अशोक जी के समय से ही संगठन का इस्तेमाल अपने राजनैतिक हितों के स्वार्थ की पूर्ति के लिए करने लगे थे। वर्तमान में ऐसा प्रतीत हो रहा है कि डाॅ प्रवीण तोगड़िया अरविंद केजरीवाल की राजनीति से खासे प्रभावित हैं। जिस प्रकार समाजसेवी अन्ना हजारे के आंदोलन को ढाल बनाकर और हजारे जी को धोखा देकर केजरीवाल ने अपनी राजनीति को चमकाया है अब उसी प्रकार की राजनीति डाॅ प्रवीण तोगड़िया करना चाहते हैं।
तोगड़िया की वर्तमान राजनीति के आधार को यदि याद किया जाये तो हम सभी को अच्छी तरह से याद आ जायेगा कि यह गुजरात की राजनीति में पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह के धुर विरोधी माने जाते हैं। ये गुजरात की राजनीति में भाजपा के लिए कई बार परेशानियां खड़ी करने की कोशिश कर चुके हैं। अभी हाल ही के दिनों में जब तोगड़िया का विहिप से निकाला जाना तय हो गया था तभी उन्होंने यह आरोप लगाने शुरू कर दिये थे कि पीएम मोदी व शाह उनकी हत्या की साजिश रच रहे हैं। जब वह गुजरात में एक दुर्घटना में घायल होकर अस्पताल में भर्ती हुए थे तब उनको अस्पताल में देखने के लिये जो लोग पहुचे उनमें हार्दिक पटेल, अल्पेश ठाकोर, कन्हैया कुमार सहित सभी वे लोग एकत्र हुए जो लोग किसी न किसी प्रकार से मोदी को हटाना चाहते हैं। उस समय भी तोगड़िया ने पीएम मोदी व गुजरात सरकार पर गम्भीर आरोप लगाकर सनसनी मचाने का असफल प्रयास किया था। तब कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी सहित समूचा विपक्ष महागठबंधन बनाकर पीएम मोदी को घेरने व बदाम करने की साजिश रच रहा था।
डाॅ प्रवीण तोगड़िया ने संघ व विहिप जैसे विशाल वटवृक्ष का उपयोग अपने निहित राजनैतिक स्वार्थों की पूर्ति के लिए किया। हम सभी को एक बात और ध्यान देने की आवश्यकता हेै कि जब पीएम नरेंद्र मोदी की विकास की तमाम योजनाओं को धरातल पर उतारने की परम आवश्यकता थी तथा विहिप जैसे संगठन के पास युवा ताकत व जोश भी था उस समय ही तोगड़िया जैसे लोगों ने अच्छी नीतियों के साथ सरकार का साथ नहीं दिया। ये अपना अलग एजेंडा चला रहे थे। अगर तोगड़िया चाहते तो वे अपने लाखों युवा कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर स्वच्छ भारत अभियान, पर्यावरण संरक्षण, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान व अन्य अधुनातन बैकिंग योजनाओं का प्रचार-प्रसार करके सरकार व संगठन में अपनी साख को और अधिक बढ़ा सकते थे। यदि वे मोदी सरकार की योजनाओं को वास्तविकता के धरातल में उतारने का प्रयास करते थे तो अधिक सफल होते।
लेकिन उन्होंने तो पीएम मोदी, अमित शाह के सपने को ध्वस्त करने व हिंदू समाज को बांटने की कसम खा ली थी। आज तोगड़िया को संगठन ने बाहर का रास्ता दिखा दिया है और यही कारण है कि वह भी अन्य मोदी विरोधियों की तरह बैचेन हो गये हैं। वह अब खुलकर राजनीति के मैदान में उतर रहे हैं। वह हिंदुत्व के सभी मुददों के लिए बैचेन दिखलायी पड़ रहे हैं। श्री रामजन्मभूमि में भव्य श्रीराम जी का मंदिर बनवाने के लिए अधीर हो रहे हैं। प्रवीण तोगड़िया ने अपने पुराने संपर्को को खोजना शुरू कर दिया और अयोध्या में विहिप समर्थक कुछ संतों को लगता है बरगला भी दिया है। अंदरखाने से खबरें मिल रही है कि तोगड़िया ने अपने नये राजनैतिक दल में उन्होंने उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व बीजेपी से जल रहे कुछ संतों को अपनी ओर मिला लिया है और उन्हें आगामी लोकसभा चुनावों में टिकट का लालच दिया है। तोगड़िया ने भी संभवतः फैजाबाद से चुनाव लड़़ने का मन बना लिया है और वाराणसी से भी उतरकर पीएम नरेंद्र मोदी को चुनौती दे सकते हैं। अभी अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण को लेकर संतों का जो अनशन चल रहा था और संतों की मांग थी कि पीएम मोदी को अयोध्या आना चाहिए यह सबकुछ तोगड़िया की ही साजिश थी।
तोगड़िया ने विश्व हिंदू परिषद व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जैसे अदभुत संगठन को अंदर से ही दीमक व चूहे की तरह समाप्त करने की महासाजिश रची है। तोगड़िया बहुत गहरी राजनैतिक साजिश रच रहे हैं। विहिप व संघ ने उनको समय से दरकिनार करके उनके महती स्वप्न को प्रथम चरण में ही ध्वस्त कर दिया है। तोगड़िया ने जिस प्रकार से राजनैतिक दल बनाने का प्रयास किया है उससे साफ प्रतीत हो रहा है कि वह तथाकथित हिंदू समर्थक बनकर हिंदू हितों का ही घोर नुकसान करने जा रहे हैं। तोगड़िया पर पहले से ही अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए का एजेंट होने की बातें अंदरखाने चला करती थीं। लग रहा है कि भविष्य में, वह संदेह सच में बदल जायेगा, क्योंकि विदेशी ताकतें कभी नहीं चाहती कि भारत में हिंदू समाज मजबूत और शक्तिशाली होकर मजबूत सरकार का गठन कर सकें। वैसे भी आज पीएम मोदी की सबसे मजबूत सरकार से भारत विरोधी ताकतें हैरान व परेशान हैं।
प्रवीण तोगड़िया जैसे लोग अपानी गतिविधियों से हलचल पैदा कर सकते हैं, दबाव बना सकते हैं तथा भाजपा को थोडा बहुत नुकसान पहुंचा सकते हैं। लेकिन इतिहास गवाह है और यह कटु सत्य भी है कि भाजपा व संघ से जिसने भी बगावत की वह बर्बाद हो गया। अब तोगड़िया ने भी अपने आपको बर्बाद की कगार पर ला खड़ा किया है। उनकी अति सक्रियता उन्हीं को बर्बाद करने जा रही है। 1973 में बलराज मधोक से लेकर पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह तक लम्बी सूची है। मधोक जीवन के अंतिम क्षणों तक संघर्ष करते रहे। पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह का हाल सभी को पता है। समाजवादी दल में जाने से लेकर नयी पार्टी तक बना डाली उससे कुछ हासिल नहीं हुआ। अंततः उनकी घर वापसी हुई और आज वह राजस्थान के राज्यपाल हैं। कई और राज्यों मेें उदाहरण मौजूद हैं। जिन्हें भी देखना चाहिये। सुप्रीम कोर्ट में 29 अक्टूबर से सुनवाई शुरू हो रही है। अगर नियत समय पर सुप्रीम कोर्ट का अयोध्या विवाद पर उचित फैसला आ गया तब तोगड़िया की राजनीति का क्या हश्र होगा, इस पर भी विचार करने में काफी जल्दबाजी होगी। इसलिय तोगड़िया जैसे लोगों की राजनीति को महत्व देने की आवश्यकता नहीं है और न ही दबाव में आने की। बस इस बात की सावधानी रखने की आवश्यकता है कि यह लोग साजिशन किसी बड़ी घटना को अंजाम देकर देश व प्रदेश का सांप्रदायिक व सौहार्द्रपूर्ण वातावरण न बिगाड़ दें। साजिशों को नाकाम करने के लिए संघ को विहिप को अपने अंदर के संगठन पर भी नजर रखनी पड़ेगी। कारण यह है कि स्वार्थी राजनीति के युग में सब चलता है और हिंदू समाज ऐसे ही स्वार्थी लोगों के कारण विभाजित व खंडित तथा बार-बार गुलाम हो जाता है।
अखिल भारतीय अखाडा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने अंतर्राष्ट्रीय हिंदू परिषद के अध्यक्ष डाॅ प्रवीण तोगड़िया के नई पार्टी बनाने का ऐलान करने पर जो कड़ा ऐतराज जताया है, बस वही सही है। महंत नरेंद्र गिरि का कहना है कि उनका यह कदम हिंदुओं को बांटने की साजिश है। उनका कहना है कि क्या तोगड़िया भारत में मुसलमानों का शासन फिर से चाहते हैं? नरेंद्र गिरि जी की बातों में विश्वास किया जा सकता है। आज हिंदू समाज को तोगड़िया जैसे राजनेताओं से भी बहुत सावधान रहने की आवश्यकता है। यह संघ व विहिप को अंदर से खोखला करने की साजिश भारत विरोधी ताकतों से मिलकर कर रहे हैं।
मृत्युंजय दीक्षित