सत्य !
सपने देखो -सपने देखो ,और शुद्ध विचार हो |
अटल -रहो अटल रहो ,पर कभी न अहंकार हो ||
निगाह लक्ष्य पर रखो ,जो हृदय की पुकार हो |
सतत प्रयाश हो और ,सनातनी संस्कार हो ||
सत्य आज लड़ रहा है ,असत्य के प्रहार से |
युगों -युगों से जीतता है ,अपने दृढी व्योहार से ||
असत्य के रूप है बहुत ,पर सत्य रूप एक है |
एक राम रूप है यहाँ ,दशासन रूप अनेक है ||
बालपन में ही सत्य के , था कंस बौखला गया |
असफल प्रयास थे ,पर असत्य तिलमिला गया ||
वीर -धीर -सत्य का ,कब हुआ विनाश है |
दुष्ट वो बचा नहीं -जिनका रावणी प्रयास है ||
— हृदय जौनपुरी