ग़ज़ल 1
दिल को जब ठोकर लगती है दर्द तो होता है
आंखों से बारिश होती है दर्द तो होता है
कैसे सब तुम खुश रहते हो समझ नहीं आता
याद किसी की जब आती है दर्द तो होता है
तुमको भी क्या ऐसा लगता है जब कोई शै
मिलकर फिर खो जाती है दर्द तो होता है
यूं भी सहरा में बारिश तो कम ही होती है
थोड़ी होकर रुक जाती है दर्द तो होता है
तन्हा रातें जिसकी बीती उससे पूछो तुम
रो रो कर जब शब कटती है दर्द तो होता है
हम तो क्या-क्या खत में उनको लिख देते हैं पर
कोरी चिट्ठी जब मिलती है दर्द तो होता है
तितली जब पर कटने पर भी उड़ने की कोशिश
करते-करते थक जाती है दर्द होता है ।
— विनोद आसुदानी