कविता

युवा

देश के लिए कुछ करना है
हम युवा ने यह ठाना है
कड़कती धूप हो या चमकती बिजलीयाँ
अपना कदम नही रोकना है
रास्ते मे आये अड़चने हजार
दुश्मन करे गोलियो की बौछार
भारती माँ के लिये कटा दे सर अपना
फिर भी मिले खुशियाँ आपार
दिल मे यह आरजू लियें
झुकेंगे नही कभी ये वादा किये
हम भारत के ऐसे युवा
जिसे चट्टाने भी टकराकर चूर-चूर हुए
जोश से हरदम भरा रहे
काम करने मे मतवाला रहे
हिला.कर रख दे पूरी दुनियाँ
ऐसे युवा शक्ति से सभी वाकिफ रहे।

निवेदिता चतुर्वेदी

निवेदिता चतुर्वेदी

बी.एसी. शौक ---- लेखन पता --चेनारी ,सासाराम ,रोहतास ,बिहार , ८२११०४