जगमग- जगमग आई दीवाली
कितना फैला घनघोर अंधेरा
रात अमावस की है काली
दीपों के परिधान पहन कर
जगमग जगमग आई दीवाली
अवधपति श्री राम चन्द्र का ,
स्वागत करती नगरी सारी ।
घर -घर में है दीपमालिका ,
द्वार -द्वार जगमग उजियारी।
सत्य की जीत हमेशा होती ,
ज्ञान का दीप हरे अँधियारी ।
रावण रूप है घोर अंधेरा ,
राम रूप हैं सूर्य की लाली ।
झूठ की काली चादर ताने
जहां भी जब आयेगा रावण
राम हरेंगे दुख इस जग का
हर घर में होगी दीवाली
सरस्वती लक्ष्मी काली का
पूजन करती दुनिया सारी
तीनों त्रिगुणमयी हैं शक्ति
जगत की हैं ये पालन हारी
ज्ञान कर्म और भक्ति रूप है
दिया तेल और बाती न्यारी
दीपशिखा जब जले निरंतर
दीप ज्योति की छँटा निराली
कार्तिक मास का शरद महीना,
थोड़ा जाड़ा रूत रंगीला ।
नरम धूप है सर्द हवा है ,
नये कुसुम से महकी डाली ।
सीता प्रेम त्याग की मूरत
रात प्रतीक हैं सत्य का तुझमें
अग्निशिखा है ज्ञान रूपसी
दूर करे जग की अँधियारी
दीप जले छा जाये उजाला
मिट जाये मन की भी कालिख
तभी सही अर्थों में समझो
हमने आज मनायी दीवाली
डा० नीलिमा मिश्रा