बेटियों
पढ़- लिख कर नाम कमाओं बेटियो
हक़ की परिभाषा को समझाओ बेटियो
जिंदगी में किसी से न डरो तुम बेटियो
पूजी जाती हो घरो में याद रखो बेटियो
रिश्तों का तुम ही हो आधार बेटियो
मेहंदी धूल खाती तुम न होती बेटियो
स्वरों में हक़ अदा करती तुम बेटियो
श्रृंगार कैसे रचता तुम न होती बेटियो
संसार चल नहीं सकता तुम बिन बेटियो
रक्षा करेंगे हम-सब ये संकल्प है बेटियो
उच्च पदो पर सदा रहो आसीन बेटियो
निडरता की उड़ान भरों तुम सब बेटियो
आंसू न दुलके सबको ऐसा स्नेह दो बेटियो
अपने दम ख़म का तुम बजा दो डंका बेटियो
रोशन हो गावं शहर नाम करो तुम बेटियो
ज्ञान की देवी सदा बनी रहो तुम सब बेटियो
— संजय वर्मा “दृष्टी”