“मुक्तक”
रूप चौदस/छोटी दीपावली की सभी को हार्दिक बधाई एवं मंगल शुभकामना
“मुक्तक”
जलाते दीप हैं मिलकर भगाने के लिए तामस।
बनाते बातियाँ हम सब जलाने के लिए तामस।
सजाते दीप मालिका दिखाने के लिए ताकत-
मगर अंधेर छुप जाती जिलाने के लिए तामस।।-1
विजय आसान कब होती खुली तलवार चलती है।
फिजाओं की तपिश लेकर गली तकरार पलती है।
सुहानी रात की खातिर दिवस बरबाद होता है-
भली यह दीप-मालिका कली अनुसार खिलती है।।-2
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी