भाई -बहन के प्यार ओर स्नेह का पर्व – भाई दूज
भारतीय संस्कृति में पर्व ओर त्यौहार का बड़ा महत्व है।प्रत्येक पर्व एक संदेश लेकर आता है। भाई दूज का त्यौहार का भाई बहन के प्यार स्नेह और विश्वास का अटूट बंधन है ।
यह पर्व दीपावली के 2 दिन बाद कार्तिक शुक्ल द्वितीया को भाई दूज के रूप में मनाया जाता है ।
इस दिन भाई बहन के घर जाता है और बहन अपने हाथों से भोजन बनाकर भाई को खिलाती है। माना जाता है कि इस दिन बहन अपने हाथ से भाई को भोजन कराएं तो भाई के जीवन की कष्ट दूर होते हैं और उसकी उम्र लंबी होती है। इस दिन बहन के घर भोजन करने का विशेष महत्व होता है।
बहन भाई को केसर या रोली का तिलक,अक्षत लगाकर कलाई पर मोली(कलवा) बांधती है,मिठाई खिलाती है।और भाई की लंबी उम्र की कामना करती है ।भाई बहन को उसकी रक्षा करने का वचन देता है।बहन इस दिन यमराज की पूजा करती है और व्रत रखती है।
शिक्षाविद कुमुद जोशी का कहना है:-
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दीपोत्सव के पांचवें दिन व दीपावली के 2 दिन बाद आने वाला पर्व भाई दूज बहन- के अनन्य प्यार और स्नेह का पर्व होता है ।बहन इस दिन का बड़ी बेताबी से इंतजार होता है कि आज उसका भाई उसके घर आये और वह अपने भाई को अपने हाथों से भोजन कराएं उसकी लंबी उम्र के लिए कामना करें।
बहन के बनाये भोजन केवल भोजन नही होता उसमे बहन का भी के प्रति जो प्यार और विस्वाश की भावनाएं शामिल होती है जिससे भोजन का स्वाद और भी आनंदित। हो जाता है। भाई भी बहन के घर आकर भोजन करें अपने आप को प्रसन्न चित्त और खुशी महसूस करता है। भाई बहन को उपहार देता है और बहन को रक्षा करने का वचन देता है। बहन भी भाई की लंबी उम्र के लिए कामना करती है
आरती मुकेरिया का कहना है –
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हिंदू धर्म में पौराणिक परंपराएं आज भी निष्ठा और श्रद्धा से मनाई जाती है ।दीपावली के 2 दिन बाद आने वाला भाई दूज का पर्व भाई बहन के रिस्तो का अनमोल पर्व होता है। भाई दूज का पर्व इस आधुनिकता के दौर में भी रिश्तो में कोई कमी या बदलाव नही कर पाया है। बल्कि और अधिक से मजबूती आयी है ।बदलते परिवेश में आज की बहन भाई के लिए रक्षाबंधन और भाई दूज पर बड़ी उत्साहित होती है और 2 दिन पहले से ही तैयारी में जुट जाती है भाई दूज के दिन बहन भाई की लंबी उम्र के लिए कामना करती है । भाई आज बहन के घर आता है, बहन भाई के तिलक, आरती कर भोजन कराती है । भाई भी बहन के अपार स्नेह और विश्वास और श्रद्धा को देख कर अपने आप को गौरवान्वित महसूस करता है और बहन को उपहार देता है उसकी रक्षा करने का वचन देता है इस पौराणिक परंपराओं से भाई बहन के रिस्तो में और अधिक मजबूती आई है।
— शम्भू पंवार