कविता – जीवन एक संघर्ष
हालात बिगड़ेगा और कितना
लगे रहो कि जीवन पथ है तुम्हे जीतना
जीवन अगर संघर्ष है तो हौसले से ही
मिलती उत्कर्ष है
हार कर बैठना शोभा देता नहीं
कि प्राण है तुम में
उठो, परिस्थिति से भिड़ो
कि जान है तुम में
साँस है जब तक, हारना ना तुम
जीत होगी तुम्हारी, घबड़ाना ना तुम
जज्बा जो दिल में हो विजय रथ कहाँ रूकता है
विकट स्थिति में भी आसमां कहाँ झुकता है
विजयोल्लास का द्वार संघर्ष से ही खुलता है
डर कर बैठने वालों का तो भाग्य भी रुठता है
नाविक हो, जीवन की, नैया ना डुबोना तुम
पतवार छोड़ जीवन युद्ध से ना हटना तुम
वक्त बुरा आता है तो कर्मो से ही मानव जीत पाता है
हिम्मत से ही जीवन संग्राम फतह कर आता है
हार के भय से जीत जो हौसलों से चलता है
करता है अलग वो, इतिहास तो वही रचता है।
— किरण बरनवाल
सुंदर सीजन है किरण जी!