मी टू
पहले प्यार का करते वादा
बाद में करते नाटक है।
जाने कहाँ से आया मी टू
दिलवालो को घातक है ।
पहले करते प्रेम प्रतिज्ञा
कभी अलग न होंगे हम।
मनभावन के सावन में अब
प्यास बुझा के लेगे दम।
जाग उठी अब सारी संस्कृति
सब प्यार के झूठे वादे हैं ।
जबसे आया मेरा मी टू
सबके सब अब सादे है।
सब गूँगे अब बोल उठे
निर्वस्त्र हो चाहे वस्त्र सजा।
झूठे प्यार के लालच में
भुगतेंगे सब लोग सजा।
शुक्र ! है कि अब ऑख खुली
यही मिलेगा सब हक है।
जब से आया है ये मी टू
दिल में थोड़ा सा शक है ।
(ओम नारायण कर्णधार)
बहुत अछि रचना . चलो देर से ही सही, शुरू तो हुआ है ! लेकिन इस में एक खतरा भी हो गिया है, ब्लैकमेलिंग का .किसी निर्दोष को चंद पैसों की खातर
सजा दिला देना भी खतरा पैदा हो गिया है .
जी काफी कुछ लिखने की कोशिश की
अभी और कोशिश करूंगा