“गीत”
मापनी- 2222 2222 2212 121, मुखडा समान्त- अर, पदांत- आस
“गीत”
चल री सजनी दीपक लेकर भर दे डगर उजास
आगे-आगे दिन चलता है अवनी नजर आकाश
गिन दश दिन तक राम लड़े थे रावण हुआ निढ़ाल
बीस दिनों के बाद अयोध्या दीपक पहर प्रकाश….चल री सजनी दीपक लेकर भर दे डगर उजास
लंका जलती रही धधककर अंगद का बहुमान
बानर सेना विजय पुकारे खूब लड़े हनुमान
पर्वत को कंधे पर लादे उड़ते चले हुमास
बीस दिनों के बाद अयोध्या दीपक पहर प्रकाश….चल री सजनी दीपक लेकर भर दे डगर उजास
जय-जय जय कोशल की जय, राम रतन सियराम
जय दशरथ जय अवध विहारी जय हो जय श्रीराम
त्रेता तारे द्वापर तारे कलियुग करहु सुवास
बीस दिनों के बाद अयोध्या दीपक पहर प्रकाश… चल री सजनी लेकर दीपक भर दे डगर उजास
महातम मिश्र गौतम गोरखपुरी
सुंदर रचना
हार्दिक धन्यवाद आदरणीया ज्योत्सना जी, स्वागतम