“मुक्तक”
बाल-दिवस पर प्रस्तुति
“मुक्तक”
काश आज मन बच्चा होता खूब मनाता बाल दिवस।
पटरी लेकर पढ़ने जाता और नहाता ताल दिवस।
राह खेत के फूले सरसों चना मटर विच खो जाता-
बूढ़ी दादी के आँचल में सुध-बुध देता डाल दिवस।।-1
गैया के पीछे लग जाता बन बछवा की चाल दिवस।
तितली के पर को रंग देता हो जाता खुशहाल दिवस।
बिना भार के गुरु शरण में वीणा की पूजा करता-
ज्ञान और विज्ञान धरोहर धर लेता निकाल दिवस।।-2
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी