कविता

कविता- तेरा डंडा-तेरा सर!!

तेरा डंडा तेरा सर,
हम मंदिर वहीं बनायेगे,,
तू मस्जिद-मस्जिद कर,,
तेरा डंडा तेरा सर,,,,,

कोटि-कोटि जन की है मंशा,
कृष्ण के हाथों मरेगा कंसा,
बेटा राम-कृष्ण से डर,,,
तेरा ठंडा तेरा सर ,,,,,,,

राम -कृष्ण की धरती बोली,
बेटा अब तक दुष्टो की हो ली,
अब तू भी मनमानी कर,,
तेरा ठंडा तेरा सर,,,,,

कब तक हाथ जोड़ेगे हिन्दू,
अब तो हाथ भी जोड़ेगा सिन्धू,
जब राम चंद्र का फिरेगा सर,
तेरा ठंडा तेरा सर,,,,,

हृदय जौनपुरी

हृदय नारायण सिंह

मैं जौनपुर जिले से गाँव सरसौड़ा का रहवासी हूँ,मेरी शिक्षा बी ,ए, तिलकधारी का का लेख जौनपुर से हुई है,विगत् 32 बरसों से मैं मध्यप्रदेश के धार जिले में एक कंपनी में कार्यरत हूँ,वर्तमान में मैं कंपनी में डायरेक्टर के तौर पर कार्यरत हूँ,हमारी कंपनी मध्य प्रदेश की नं-1 कम्पनी है,जो कि मोयरा सीरिया के नाम से प्रसिद्ध है। कविता लेखन मेरा बस शौक है,जो कि मुझे बचपन से ही है, जब मैं क्लास 3-4 मे था तभी से