मैं साथ क्यों ना थी ?
सोचती हूं कभी
जब तुम होंगे
जीवन के सबसे
खुशहाल पलों में…
मैं साथ क्यों ना थी?
सोचती हूं कभी
जब तुम जूझ
रहें होंगे जीवन
की उलझनों से
मैं साथ क्यों ना थी?
सोचती हूं कभी
जब टूटे होंगे
तुम पर दुखों के
असह्य पहाड़…
मैं साथ क्यों ना थी?
सोचती हूं कभी
जब ढूंढें होंगे
एक अवलंब
जीने के लिए….
मैं साथ क्यों ना थी…
हां होना था
मुझे तुम्हारे
हर खुशी में,
हर उलझन में,
हर दुःख में,
हर तलाश में…
काश!!!!!!
…………………….कविता सिंह